The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
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कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
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Whosoever provides incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with love and devotion, enjoys content joy and spiritual bliss Within this world Shiv chaisa and hereafter ascends to the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva taken out the struggling of all and grants them eternal bliss.
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी